लोहगड़ का किला

राजस्थान के भरतपुर जिले में स्थित लोहगढ़ किले को भारत का एक मात्र अजेय दुर्ग कहा जाता है जो कि मिट्टी से बने इस किले को कोई नही जीत पाया यहा तक कि अंग्रेज भी नहीं जिन्होंने 13 बार इस किले पर अपनी तोप से आक्रमण किया था  राजस्थान को मरुस्थलों का राजा कहा जाता है यहा आने के ऐसे स्थान है जो पर्यटको को अपनी ओऱ आकर्षित करते है इस किले का निर्माण18 वी सताब्दी  के  आरंभ में महाराजा सूरजमल ने करवाया था महाराजा सूरजमल ने ही भरतपुर रियासत बसाई थी उन्होंने एक ऐसे किले की कल्पना की जो भेहद मजबूत हो ओऱ कम पैसे में ही तैयार हो जाए उस समय तोपो तथा बारूद का प्रचलन अत्यधिक था इस किले को बनाने में एक विशेष युक्ति का प्रयोग किया गया जिसे की बारूद के गोले भी दीवार पर बेअसर रहे यह राजस्थान के अन्य किलो के जितना विशाल नही है लेकिन फिर भी इस किले को अजेय माना जाता है इस किले की एक ओर खास बात यह है कि किले के चारो और मिट्टी की मोटी दीवार बनी हुई है निर्माण के समय पहले किले की  चोड़ी पथर की दीवार बनाई गई इन दीवार पर तोपो के गोले का असर न हो इस लिए इस दीवार के सेकड़ो दूर ओर मिट्टी की दीवार बनाई गई ओर नीचे गहरी ओर चोड़ी खाई बना कर उसमें पानी भरा गया ऐसे में पानी को पार कर सपाट दीवार पे चढ़ना तो मुश्किल ही नहीं असम्भव है यही वजह है कि इस किले पर आक्रमण करना सहज नहीं था क्योकि तोप से निकले हुए गोले गरे की दीवार में दश जाते  ओर उसकी आग शांत हो जाती ऐसे असँख्य गोले दागने के बावजूद इस किले की पथर की दीवार ज्यो की त्यों सुरक्षित पड़ी रही इस लिए दुश्मन इस किले के अंदर कभी प्रवेश नहीं कर पाए राजस्थान का इतिहास लिखने वाले  इतिहासकार जेम्स टॉड के अनुसार इस किले की सबसे अच्छी बात यह है कि इस कि दीवार जो मिट्टी से बनी हुई है इसलिए इस किले को फतह कर पाना लोहे के चने  चबाने से कम नहीं इस फौलादी किले को राजस्थान का पूर्व सिंग द्वार भी कहा जाता है यहां जाट राजाओ की हुकूमत थी जो अपनी दृढ़ता के लिए जाने जाते है उन्होंने इस किले को सुरक्षा प्रदान करने की कोई कसर नही छोड़ी दूसरी तरफ अंग्रेजो ने इस किले को अपने साम्राज्य में लेने  के लिए 13 बार हमले किए अंग्रेजी सेना तोप से गोले उगलती जाती थीं  ओर वह गोले भरतपुर की मिट्टी के पेट मे समाते गए 13 आक्रमणो में एक बार भी वह इस किले को जीत न सके इस कहा जाता है कि अंग्रेजों की सेना बार बार हरने से हताश हो गए ओऱ वह से  भाग गई यह भी कहावत है कि भरतपुर के जाटों की वीरता के आगे अंग्रेजों की एक चली इस किले की दरवाजे की अपनी अलग खासियत है अष्ठधातु के दरवाजे अलाउद्दीन खिलजी चितोड़ से छीन कर ले गया था उसे भरतपुर के महाराजा जवारहर सिंग दिल्ली से उखाड़ कर ले आए उसे इस किले में लगवाया किले के बारे में रोचक बात यह है की इस मे कहि भी लोहे का एक अंश नही लगा यह अपनी अभेगता के बल पर लोहगढ़ के नाम से जाना जाता है इस किले ने समय समय पर दुश्मनो के दाँत खट्टे किए ओर अपना लोहा मरवाने को शत्रु को मजबूर किया किले के कोने पर एक जवाहर दुर्ग है जिसे जाट महाराज के दिल्ली पे विजय के उपरांत बनवाया गया था दूसरे कोने पर एक ओऱ बुर्ज है जो फतेपुर सेना के छक्के छुड़ाने की यादगार है अंग्रेजी सेना से लड़ते लड़ते होल्कर नरेश जसवंत राव भाग कर भरतपुर आगे जाट राजा  रणजीत सिंह ने उन्हें वचन दिया था कि आप को बचाने के लिए हम अपना सब कुछ कुर्बान कर देंगे अंग्रेजी सेना के चिफ कमांडर लार्ड लीफ ने भरतपुर के राजा को खबर भेजी या तो वे जसवन्त राव होल्कर अपने को हवाले कर दे या वे खुद को मौत के हवाले समझे यह धमकी जाट राजा के सर्वदा खिलाफ थी जाट राजा अपनी आन बान शान  के लिए मजबूत रहे है जाट राजा रणजीत सिंह का खून खोल उठा ओऱ उन्होंने कमांडर को सन्देस भिजवाया की वे अपने हौसले अजमाले हमे लड़ना आता है झुकना नहीं अंग्रेजी सेना के कमांडर को यह बहुत बुरा लगा ओर उसने तत्काल भरी सेना लेकर भरतपुर पर अक्रमण कर दिया अंग्रेजी सेना टॉप के गोले उगलती जा रही थीं ओऱ वह गीले भरतपुर की मिट्टी में समाते जा रहे थे तोप के गोले के बाद भी भरतपुर की सेना ज्यो की त्यों डटी रही तो अंग्रेजी सेना में आस्चर्य ओर सनसनी फैल गई सन्धि का सन्देस फ़ी दोहराया गया ओर राजा रणजीत सिंह ने फिर एक बार अंग्रेजी सेना को ललकारा अंग्रेजों की सेना से लगातार गोला बारूद  आते जा रहे थे ओर वे आक्रमण निरंतर करते जा रहे थे किले के अंदर महत्वपूर्ण स्थान है किसोरी महल महल खास मोती महल ओर कोठी खास इसमे कई प्रसिद मंदिर है जैसे गंगा मंदिर लछमण मन्दिर तथा बिहारी जी का मंदिर अत्यंत लोकप्रिय हैं इसके बीच मे एक बड़ी जामा मजिद भी है मन्दिर ओर मजिद पूण रूप से लाल पत्तर के बने हुए है इन मंदिरों और मजिद के बारे में एक अलग कहानी प्रचलित है लोगो का मानना है कि भरतपुर रियासत में जब महाराज किसी व्यक्ति को नोकरी पर रखते थे तो उस व्यक्ति के साथ यह शर्त रखी जाती थी कि उसकी तनखा में से एक पैसा धर्म के खाते में डाल दिया जाएगा हर नोकर को यह शर्त मंजूर थी 

Comments

Popular posts from this blog

कुचामन का किला

मांडलगढ़ का किला

बीकानेर का किला