बीकानेर नगर की स्थापना के साथही राव बीकाजी ने 1488ई में यह पर एक गढ़ का निर्माण करवाया जिसे बीकाजी की टेकरी के नाम से जाना जाता है उसी स्थान पर सासक राव रायसिंह ने सन 1588 से 1593 ई के मध्य जूनागढ़ किला का निर्माण करवाया जूनागढ़ का यह किला राति घाटी नामक चटटान पर बना है इस लिए इसे राति घाटी का किला भी कहते है यह किला धन्व दुर्ग ओर स्थल दुर्ग दोनों ही श्रेणियों में शामिल है जूनागढ़ किले को जमीन का जेवर नाम से भी जाना जाता है इस किले की आकृति चतुसकोणीय है ओर यह हिन्दू ओर वास्तु शेली में बनाया गया है राजस्थान में सबसे पहले इस किले में लिफ्ट लगाई गई थी जूनागढ़ किला में सात मुख्य प्रवेश द्वार है जिसमे पूर्वी दरवाजे के नाम कर्णपाल तथा पसमी दरवाजे का नाम चांदपोल रखा गयाहैं इन दो मुख्य द्वार के अलावा 5 आंतरिक द्वार भी है जो इस प्रकार है सूरजपोल, फतेपोल, दोलतपोल, रतनपोल,ओर दुर्वपोल, सूरजपोल जूनागढ़ किला का सबसे महत्वपूर्ण द्वार है इस का निर्माण पिले पथरो से किया गया है जिस पर रायसिंह प्रशस्ति उत्कीर्ण है इस द्वार के दोनों ओर सन 1567ई में चित्तोड़ के तीसरे साके में व
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