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Showing posts from April, 2021

करणी माता का मंदिर

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श्रदालुओ का मत है कि करणी माता देवी जगदम्बा अवतार थीं अब से लगभग साढ़े 600 वर्ष पूर्व जिस स्थान पर यह भव्य मंदिर है वहाँ गुफा में रहकर मा अपने इस्ठ देव की पूजा अर्चना किया करती थीं यह गुफा आज भी मन्दिर परिसर में स्थित है मा के ज्योतिलिंग होने पर उनकी इच्छा अनुसार उनकी मूर्ति की इस गुफा में स्थापना को गई बताते है कि माँ करणी के आशिर्वाद से ही बीकानेर ओर झोधपुर राज्य की स्थापना हुई थी         संगमरमर से बने मन्दिर की भव्यता देखते ही बनती है मुख्य दरवाजा पर करते ही चूहों की धमकचोकडी देख मन ढंग रह जाता है चूहों की बहुतायत का अंदाजा इस ही बात से लगाया जाता है की पैदल चलने के लिए अपना कदम उठाकर नहीं घसीटकर चलना होता है लोग इसी तरह कदमो को घसीटते हुए करनी मा की मूर्ति तक पहुंचते है                                                              चूहे पूरे मन्दिर प्रांगण में मौजूद रहते है वे  श्रदालुओ के शरीर पर कूद फांद करते रहते है लेकिन किसी को कोई नुकसान नहीं पहुचाते चील गिद्द ओर दूसरे जानवरो से इन चूहों की रक्षा के लिए मन्दिर में सुरक्षा के लिए बारीक जाली ल

जमुवाय माता मंदिर

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जयपुर की  कई साल तक प्यास बुझाने वाले रामगढ़ बांद से करीब 1 किलोमीटर स्थिति है लोक आस्था का केंद्र जमवाय माता का मंदिर जमवाय माता कछवाह राजपूत कई समुदाय की कुलदेवी है नवरात्र समेत कई मौकों पर यह लोग जाता जदुली उतारने आते है माता के मंदिर में प्रसाद के साथ श्रदा के मुताबिक माता  पोशाक भी चढ़ाई जाती है आस पास पहाड़िया है ओर बारिस के साथ यहा कई झरने बहते है वातावरण सुसभ्य हो जाता है तब भी यहा लोग पिकनिक मनाने बड़ी संख्या में लोग पहुचते है यह रामगढ़ वन्य जीव का भी एक हिस्सा है माता के मंदिर के सामने से गुजरने वाला हर शख्स म को सीस झुकना नहीं बहुल ता इस मंदिर की स्थापना के सम्बंद के बारे में कहा जाता है कि यह छेत्र पहले माच के नाम से जाना जाता था एक बार राजा मल्हार राय माच पर हमला कर मीणो से युद्ध किया लेकिन वे हार गए ओर रणभूमि में मूर्छित होकर गिर गए रात में बुड़वाय देवी रण भूमि में आई दुल्हारे के सिर पर हाथ फेरा तो उनका मूर्छा टूट गया माता ने खुद को जमुवाय नाम से पूजने ओर मन्दिर बनाने का वचन मांग दुल्हराय ने माता से विजय होने का आशिर्वाद मांगते हुए उनके आद