करणी माता का मंदिर
श्रदालुओ का मत है कि करणी माता देवी जगदम्बा अवतार थीं अब से लगभग साढ़े 600 वर्ष पूर्व जिस स्थान पर यह भव्य मंदिर है वहाँ गुफा में रहकर मा अपने इस्ठ देव की पूजा अर्चना किया करती थीं यह गुफा आज भी मन्दिर परिसर में स्थित है मा के ज्योतिलिंग होने पर उनकी इच्छा अनुसार उनकी मूर्ति की इस गुफा में स्थापना को गई बताते है कि माँ करणी के आशिर्वाद से ही बीकानेर ओर झोधपुर राज्य की स्थापना हुई थी संगमरमर से बने मन्दिर की भव्यता देखते ही बनती है मुख्य दरवाजा पर करते ही चूहों की धमकचोकडी देख मन ढंग रह जाता है चूहों की बहुतायत का अंदाजा इस ही बात से लगाया जाता है की पैदल चलने के लिए अपना कदम उठाकर नहीं घसीटकर चलना होता है लोग इसी तरह कदमो को घसीटते हुए करनी मा की मूर्ति तक पहुंचते है चूहे पूरे मन्दिर प्रांगण में मौजूद रहते है वे श्रदालुओ के शरीर पर कूद फांद करते रहते है लेकिन किसी को कोई नुकसान नहीं पहुचाते चील गिद्द ओर दूसरे जानवरो से इन चूहों की रक्षा के लिए मन्दिर में सुरक्षा के लिए बारीक जाली ल