सिवाणा का किला
दोस्तो सिवाणा किले का निर्माण 10 सताब्दी परमार राजा भोज के पुत्र वीर कुमार परमार ने करवाया था यह दुर्ग बाड़मेर जिले की छपन की पहाड़ियों में हल्देश्वर पहाड़ी पर बनाया गया है यह किला गिरी दुर्ग ओर वन दुर्ग दोनों श्रेणियों में शामिल है सिवाणा किले को कई अन्य नामो से भी जाना जाता है इस का प्राचीन नाम कुम्बना दुर्ग था जबकि इसे मारवाड़ कि शरणस्थली या मारवाड़ के राजाओ की शरणस्थली भी कहते है क्योकि मारवाड़ के शासक राव मालदेव राठौड़ ने ओर राव चन्द्रसेन राठौड़ ने आपत्ति के समय यह शरण ली थी दोस्तों सिवाणा किले में कुमत नामक झाड़ी आदिक मात्रा में मिलती है इस लिए इसे कुमट दुर्ग भी कहते हैं इस के अलावा सिवाणा किले को जालोर किले की कुंजी के रूप में भी जाना जाता है सिवाणा किले में इतिहास प्रसिद्ध दो साके हुए जो इस प्रकार है सिवाणा किले का प्रथम सका सन1308 ई में हुआ थाजब अलाऊदीन खिलजी के सेनापति कमलौदीन दुर्ग ने राजा सातल देव के सेना पति आवला पवार को दुर्ग का लालच देकर किले के भीतर मौजूद प्रमुख पेयजल स्रोत भांडेलाव तालाब को गो मास से दूषित करवादिया जब दुर्ग की रक्षा का कोई अन्य उपाय नहीं था तो राजा सतलदेव ओर उसके पुत्र ने केसरिया किम तथा राजपूत रानियों ने जोहर किया अलाऊदीन खिलजी ने सिवाणा किले को जीत कर इसका नाम खैराबाद रख दिया यह युद्ध10 दिसम्बर1308 ई को सुरु हुआ जो अलाऊदीन कि विजय के साथ समाप्त हुआ सिवान किले का दूसरा सका सन1569 ई में हुआ अकबर के कहने पर मारवाड़ के मोटा राजा उदयसिंग ने सिवाणा पर आक्रमण किया जिसमे सिवाणा के कल्याण दस या बिरकल्ला रायमलोत नेतृत्व में राजपूतो योद्धाओं ने केसरिया किला ओर हाड़ी रानी के नेतृत्व में दुर्ग की रानियों ने जोहर किया यह हाड़ी रानी बून्दी के राव सुरजन हाड़ा की पुत्री थी सिवाणा किले में वीर कल्ला रायमलोत का थड़ा महाराजा अजीतसिंह का दरवाजा ओर हल्देश्वर महादेव का मंदिर ऐतिहासिक दर्शनीय स्थल है सिवाणा किले के परकोटे को शहर पनाह नाम से जाना जाता है जिसका निर्माण मारवाड़ के शासक राव मालदेव ने करवाया था सिवाणा किले को देखकर अलाऊदीन खिलजी ने कहा था सिवाणा दुर्ग भयानक जंगल मे है इस पहाड़ी दुर्ग पर काफिर सातलदेव सीमूर्ग़ की भांति रहता है ओर उसके कई हजार काफिर सरदार पहाड़ी गिदो की भांति उसकी रक्षा करते हैं सिवाणा किले में सेर ए राजस्थान नाम से विख्यात लोकनायक जयनारायण व्यास को भी बन्दी बनाकर रखा गया था
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