भटनेर का किला

भटनेर का किला एक मात्र भारत का सबसे पुराना किला है इस किले का 1700 साल पुराना इतिहास है कहा जाता है इस किले को 1700 साल पहले बनवाया गया था लेकिन रियल में यह कोई नहीं जानता कि यह किला कितना पुराना है ओर इस के चलते इस किले में हजारों घटनायें आज तक जिन्दा है जिसे आज तक कोई नहीं सुलझा पाया है इस किले का निर्माण जैसलमेर के राजा भाटी के पुत्र गोपत द्वारा 253 में करवाया गया कहा जाता हैं कि गजनी के सुल्तान के लड़ाई हारने के बाद राजा गोपद ने गगन नदी के आस पास घने जंगलों में सरण ली थी और इस ही वजह से यहां यह दुर्ग जो कि भटनेर है का निर्माण करवाया खास बात की यह किला छोटी छोटी डब्बीनुमा ईंटो से बनवाया गया ओर यह मृत दुर्ग के नाम से आज जाना जाता है 13 वी सताब्दी के मध्य में बलबन जो कि दिल्ली का सुल्तान था का चचेरा भाई जिसे सेरसासुरी के नाम से जाना जाता है ने यह पर शासन किया 1391 में भटनेर को तैमूर ने भाटी राजा राव दुर्जन को हरा कर जीता ओर इस का वर्णन तैमूर ने अपनी पुस्तक तुजुर ये तैमूरी में किया उसने अपनी पुस्तक में लिखा कि भारत के सबसे सुरक्षित किलो में से भटनेर एक मात्र है 1527 में जोयाद जो कि राजपूत थे भाटी शासक थे उन्होंने इस किले को जीता ओर इस के बाद बीकानेर के राव जेतसिंह ने इस पर कब्जा कर लिया इसके बाद जेतसिंह को मुगलो के द्वारा हर दिया गया ओर मुगल शासक अकबर ने भी यह शासन किया कहा जाता हैं कि तराइन युद्ध जो कि मोहम्मद गोरी पृथ्वीराज चौहान के द्वारा लड़ा गया वह प्लेस टेलवाड़ा है जिसे तलवाड़ा झील के नाम से जाना जाता है ओर1805 में सोरत सिंह ने वापिस अपने अधिकार में ले लिया जो कि मंगलवार के दिन इस किले पर आक्रमण हुआ ओर इसे सोरत सिंह द्वारा जीत लिया तब भी हिन्दू धर्म के अनुसार मंगलवार जो कि भगवान हनुमान का वार है इसे के कारण इस किले का नाम भटनेर से बदलकर हनुमानगढ़ रख दिया ओर आज तक इसे हनुमानगढ़ के नाम से जाना जाता है 

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